
सर्दी का मौसम शुरू होते ही देशभर में कोरोना संक्रमण बढ़ने लगा है। इस बीच संक्रमण से बचाव को लेकर लिए जा रहे निर्णयों के बीच लॉकडाउन की अफवाह और आशंका से एक बार फिर काम के लिए परदेश गए मजदूरों का बड़ी संख्या में घर के लिए लौटना शुरू हो गया है। हालांकि सरकार का अभी ऐसा कोई आदेश नहीं है जिससे लॉकडाउन लगाने जैसी बात हो। बता दे कि कोरोना की दूसरी लहर ने काम की तलाश में परदेश गए मजदूरों को चिंता में डाल दिया है। एक दिसंबर से लॉकडाउन लगने की अफवाह के डर से मजदूर परिवारों के साथ महाराष्ट्र और गुजरात से बसों में बैठकर लौट रहे हैं। पिछली बार कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए 22 मार्च को अचानक सरकार ने लॉकडाउन लगा दिया था।
जो 31 मई तक चला था। इस दौरान मजदूरों को घर लौटने के लिए खासी परेशानियों का सामना करना पड़ा था। घर लौटने पर उस समय मजदूरों को स्थानीय स्तर पर पूरे समय काम नहीं मिला। जिसके कारण अनलॉक होते ही काम के लिए फिर से महाराष्ट्र और गुजरात लौट गए थे, लेकिन अब एक बार फिर बड़े शहरों में कोरोना संक्रमण बढ़ने लगा है। जिसके चलते मजदूर फिर से लॉकडाउन लगने की अफवाह और आशंका के चलते अपने घर लौट रहे है।
लॉकडाउन की खबर और परिवार की सुरक्षा के लिए लौटे
रविवार तड़के महाराष्ट्र से गांव जाने के लिए शहर आए मजदूरों ने बताया लॉकडाउन लग जाने पर परिवार को होने वाली परेशानियों से बचने के लिए गांव आ गए है। महाराष्ट्र के संगमनेर से लौटे अंचल के ग्राम घुड़चाल निवासी कालू पुत्र चमला ने बताया कि महाराष्ट्र में एक तारीख से लॉकडाउन लगने की बात चल रही है। इस कारण परिवार सहित घर आ गए। कालू ने बताया कि महाराष्ट्र में पूरे परिवार को काम मिल जाता है, इसलिए वहां जाते है। ग्राम घुड़चाल के आसपास के करीब 10 परिवार सुबह लौटे। महाराष्ट्र के नाशिक से लौटे अंचल के ग्राम झांगटा निवासी भीमसिंह झगड़िया ने बताया वह बांध निर्माण में परिवार को लेकर मजदूरी करने गया था। एक तारीख को महाराष्ट्र में लॉकडाउन लगने की खबर सुनने में आई तो परिवार के साथ लौटा हूं, ताकि लॉकडाउन लगने पर परेशान ना होना पड़े। खरगोल जिले के काबरी निवासी राजेंद्र पुत्र गुटिया ने बताया वह गांव के चार-पांच परिवार के साथ महाराष्ट्र के येवला से लौटा है। येवला में खेत में काम करने गए थे। एक-डेढ़ माह का काम और था, लेकिन परिवार से बार-बार फोन आ रहे थे कि एक तारीख से महाराष्ट्र में लॉकडाउन लग जाएगा। बसें चलना बंद हो जाएंगी तो परिवार के साथ पैदल आना पड़ेगा। इसलिए काम छोड़कर घर आना पड़ा।
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