
कब्ज पाचन तंत्र की उस स्थिति को कहते हैं जिसमें कोई व्यक्ति (या जानवर) का मल बहुत कड़ा हो जाता है तथा मलत्याग में कठिनाई होती है। कब्ज अमाशय की स्वाभाविक परिवर्तन की वह अवस्था है, जिसमें मल निष्कासन की मात्रा कम हो जाती है,
मल कड़ा हो जाता है, उसकी आवृति घट जाती है या मल निष्कासन के समय अत्यधिक बल का प्रयोग करना पड़ता है। सामान्य आवृति और अमाशय की गति व्यक्ति विशेष पर निर्भर करती है।
(एक सप्ताह में 3 से 12 बार मल निष्कासन की प्रक्रिया सामान्य मानी जाती है। कब्ज का इलाज करने के लिए कई नुस्खे व उपाय यहां जोड़ें गए हैं|
पेट में शुष्क मल का जमा होना ही कब्ज है। यदि कब्ज का शीघ्र ही उपचार नहीं किया जाये तो शरीर में अनेक विकार उत्पन्न हो जाते हैं। कब्जियत का मतलब ही प्रतिदिन पेट साफ न होने से है।
एक स्वस्थ व्यक्ति को दिन में दो बार यानी सुबह और शाम को तो मल त्याग के लिये जाना ही चाहिये। दो बार नहीं तो कम से कम एक बार तो जाना आवश्यक है। नित्य कम से कम सुबह मल त्याग न कर पाना अस्वस्थता की निशानी है।
दिन में अपने भोजन में उच्च रेशेदार फल और सब्जियों को स्थान दे। जूस की जगह फल खाए। इस से आपके शरीर में फाइबर जाएंगे और कब्ज से मुक्ति मिलने में बहुत सहायता मिलेगी। अधिक तला, भुना, मिर्च मसाले वाला भोजन करने से बचे। फ़ास्ट फ़ूड, कोल्ड ड्रिंक्स बिलकुल ना पियें।
रात को सोते समय दूध में एक चम्मच घी (अगर गाय का मिले तो बहुत ही बढ़िया) डाल कर गर्म गर्म पियें। इसमें चीनी की जगह मिश्री या शहद मिलाये। इस से सुबह पखाना खुल कर आएगा।
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